बिहार की धरती को धूमिल करने का अधिकार किसी को नहीं है,चाहे वो हम हो या हमारी सरकार।
सुपौल के एक बालिका छात्रवास में जो घटना घटी है वो घटना जितनी शर्मशार करने वाला नहीं है उससे कही अधिक शर्मसार करने वाली हमारी खामोशी है।
क़ानून व्यवस्था बनी रहनी चाहिए,गुनहगार कोई भी हो उसे सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
सुपौल जिले की धरती पर जो हुआ वह अप्रत्याशित था लेकिन उससे भी बड़ी विडम्बना यह है की हम और हमारा समाज आख़िर किस मानसिकता की ओर जार रहा है?
इस घटना ने पूरे बिहार के साथ साथ पूरे देश मेंं बिहार को बदनाम किया है। इसके पहले मुज़्ज़फरपुर की बालिका गृह वाली घटना उसके बाद आरा की बिहिया में एक महिला को निर्वस्त्र घूमाने की घटना ने पहले ही बिहार को बदनाम कर चुकी है।
ऐसी घटनाओं के बाद अब वक्त है कि हम इसकी वजह ढूँढे। समाजिक दृष्टिकोण से हमें सोचने की जरूरत है। उस बिहार के इतिहास को याद कीजिये और खुद यह देखने की कोशिश कीजिये कि क्या ये घटनाएं हमारे स्वर्णिम इतिहास को धूमिल करने के लिए काफी नही है। ये तीनो ही घटनाएं या इस तरह की कोई भी घटना समाज की मानसिकता को ही दर्शाता है।
उस बिहार को हम भूलते जा रहे हैं जहाँ नालंदा विश्वविधालय की कीर्ति है,उस जहाँ महान सम्राट अशोक पैदा हुए, जहाँ चाणक्य पैदा हुए,उस बिहार के लिये जहाँ आर्यभट्ट पैदा हुए और पूरे विश्व को शून्य दिया।याद कोजिये उस बिहार को जिसकी पावन धरती पर भगवान बुद्ध पैदा हुए और संसार को एक नया ज्ञान दिया।
दरअसल समाज मे बुराई इसलिए व्याप्त नही है कि बुरे लोग ज्यादा हो गए हैं बुराई इसलिए है कि क्योंकि अच्छे एलपीजी चुप है। हमारी चुप्पी ही है जो उस मिट्टी को बदनाम कर रही है जहाँ बाबू वीर कुंवर सिंह पैदा हुए जिन्होने बुढ़ापे मेंं अंग्रेजो के दाँत खट्टे किए थे।
अब जरूरत है कि हम खुल के बोले हर उस बुराई के खिलाफ जो हमारे समाज मे हमारी चुप्पी की वजह से पनप रही है। इस बिहार की धरती को हम सब मिलकर डॉ.राजेन्द्र प्रसाद,राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर,गुरु गोविंद सिंह,चंद्रगुप्त मौर्य और महावीर की धरती बनाना है। ये काम सिर्फ सरकार का नही है ये हम सबका कर्तव्य है कि इसे महान बनाएं और ऐसी मानसिकता को उखाड़ फेंके जो इसे महान बनाने को राह खड़ी है।
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