किसी जगह पे राहुल नाम का एक आदमी रहता था एक दिन वह कहि चोरी करते हुए पकड़ा गया और लोगों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया। उसके परिवार में कोई और सदस्य नही था ना ही उसके कोई रिश्तेदार थे। उसे जेल की सज़ा हुई और 4 साल तक जेल में रहा। सज़ा खत्म होने के 1 महीने पहले जब उसे रिहा करने की सूचना दी गयी तो वह खुश होने के बजाय दुःखी हो गया। उसके साथ बैरक में रह रहे एक अन्य कैदी ने उसके दुख का कारण पूछा तो वह बताया कि उसके परिवार में कोई नही है नाही उसके कोई रिश्तेदार हैं। जेल से तो निकल जायेगा लेकिन अब कहा जाएगा क्या करेगा ये सोच के दुखी हो रहा है।
अगर परिवार वाले हिस्से को छोड़ दें तो कॉलेज खत्म होने के बाद भी हमारी स्तिथि कुछ हद तक राहुल की तरह ही होती है। कॉलेज खत्म होने की खुशी तो होती है। लेकिन समझ नही आता है कि अब क्या करें कहां जाएं? अगर आप तयारी में लगे है या कहि से आगे की पढ़ाई भी कर रहे होते हैं तब भी कुछ महीनों तक ये बेचैनी बनी ही रहती है।
खैर ये भी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है और हर हिस्सा कुछ दिनों में,महीनों में गुजर जाता है। अंत मे सब कुछ ठीक हो ही जाता है।
0 comments:
Post a Comment