कितनी अच्छी है न,
ये तुम्हारी मुस्कान,
साड़ी में तुम्हारी प्यारी सी तस्वीर,
चांद की हल्की सी रौशनी,
और बालकनी से आती हुई ठंडी हवाएं।
कितना अच्छा है न,
तुम्हारा मुझे इस तरह से देखना,
तुम्हारे सैकडों सवालात,
और हमारी हर रोज की मुलाकात,
बस जो बुरा है वो,
तुम्हारा हर बात पे रूठना
और हर रोज तेरे साथ का छूटना।
कितना अच्छा है न,
ये आती जाती साँसे,
कुछ भूली बिसरी बातें,
स्पीकर पे बज रहा ये संगीत,
बस जो बुरा है,
वो ये बेचैन करता दिन,
और ये बेबस करती रातें।
सब कुछ अच्छा तो है,
बस जो बुरा है वो,
ये वक्त ये ज़ज़्बात,
कुछ अनकही सी बात है,
मेरा अधूरा इश्क़,
कुछ अधूरी मुलाकात है।
0 comments:
Post a Comment