कल से सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट देख रहा हूँ जिसमे लिखा है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के जितने से लोकतंत्र की हत्या हो गई है और कुछ लोगों ने ये भी लिख दिया कि कन्हैया कुमार की जगह गिरिराज सिंह जीते है इसका मतलब इस देश की जनता पकौड़ा तलने लायक है। वैसे लोकतंत्र की हत्या उस वक्त भी हुई थी जब बाप दादाओं की विरासत पर एक मूर्ख व्यक्ति को बैठा दिया गया। जिसे जनता तक सही आंकड़े भी पहुँचाने नही आते। देश की राजनीति और सत्ता को अपना हक समझने लगा। लोकतंत्र की हत्या तब भी हुई जब आंदोलनों से निकली एक पार्टी का मुख्यमंत्री सत्ता पाते ही सेवक से मालिक बन गया और हर बात से पलट गया। लोकतंत्र की हत्या तब भी हुई थी जब एक अनपढ़ महिला को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। तब भी लोकतंत्र की हत्या हुई थी जब एक 9वी पास व्यक्ति को भावी मुख्यमंत्री बताया गया। लोकतंत्र की हत्या तब भी हुई थी जब एक बाहुबली जेल में रहते हुए चुनाव जीत गया और संसद पहुँच गया। लोकतंत्र की हत्या तब भी हुई थी जब बड़े बड़े अपहरण और हत्या के आरोपी को इसी जनता ने संसद भी पहुंचाया और उसे बिहार का भविष्य भी बताने लगे। तब ये जनता का फैसला मान लिया गया और पकौड़ा तलने वाला नही कहा गया। उस वक्त यही लोग चुप थे। लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता उस वक्त भी मर गया जब 'आतंकवाद का कोई धर्म नही होता' कहने वाले लोग हिन्दू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ लिए। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप सिद्ध नही हुए हैं। अगर साध्वी को वहाँ की जनता ने चुना है तो कुछ बात जरूर रही होगी। आप थोड़ा पीछे जाकर पढ़िए और देखिए कि दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते मध्यप्रदेश और भोपाल के लोगों की क्या हालत थी। मैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का समर्थक नही हूँ नाही ऐसे किसी भी उमीदवार का समर्थन करूँगा लेकिन अगर एक का विरोध करूँगा तो उन जैसे सबका करूँगा चाहे वो किसी भी पार्टी में हों। लेकिन अगर वहाँ की जनता ने चुना है तो उसका सम्मान करता हूँ।
दरअसल आप ऐसे लोगों का विरोध नही कर रहे हैं आप विचारधारा के नाम पर एक पार्टी एक व्यक्ति से नफरत कर रहे हैं। जब तक ये नफरत करते रहेंगे ऐसे उम्मीदवार जीतेंगे। आप चुन कर लोगों का विरोध करेंगे,जब तक ये नफरत की राजनीति चलेगी तब तक मुद्दाविहीन चुनाव होंगे जनता का ध्रुवीकरण होगा और ऐसे लोग जीतेंगे। ऐसे लोगों पर उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झाँकिये सत्य आपके सामने आ जायेगा।
ये देश समुद्र के किनारे बालू पर लिखा कोई नाम नही है जो हल्की सी लहार आएगी और ये मिट जाएगा। इस देश का लोकतंत्र सदियों से मजबूती से खड़ा रहा है और हमेशा ऐसे ही खड़ा रहेगा। ऐसे पोस्ट डाल के लोगों को गुमराह करना और डराना बन्द कीजिये। ये दुःख आपको सिर्फ इएलिये है क्योंकि आपके पसन्द की पार्टी या आपके पसंद का नेता नही जीता। जिस जनता ने इन लोगों को चुना है वो बेवकुफ नही है। जनता उसे ही चुनती है जो उसके लिए बेस्ट होता है,उसे अनपढ़ समझना बन्द कीजिये।
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